सिख बैसाखी के दिन गुरुद्वारों में जाते हैं, और पंजाब में, विशेष रूप से, विभिन्न स्थानों पर लंगर का आयोजन किया जाता है।
बैसाखी, जिसे वैसाखी के नाम से भी जाना जाता है, भारत और दुनिया के कुछ हिस्सों में बड़े पैमाने पर सिख समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला एक फसल उत्सव है।
यह दिन बहुत महत्व रखता है और सौर कैलेंडर के आधार पर सिख नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है।
इस साल यह 14 अप्रैल, गुरुवार को मनाया जाएगा। बैशाखी-संक्रांति का समय सुबह 8.56 बजे है।
30 मार्च, 1699 को वैसाखी के दिन, गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा की स्थापना की, जो 'शुद्ध' सिख समुदाय है। इस दिन, गुरु ने लोगों से भगवान के लिए अपना जीवन बलिदान करने के लिए कहा।
सिख बैसाखी के दिन गुरुद्वारों में जाते हैं, और पंजाब में, विशेष रूप से, विभिन्न स्थानों पर लंगर का आयोजन किया जाता है। परंपरागत रूप से, कड़ा प्रसाद (गेहूं का हलवा) परोसा जाता है।
लोग नए, रंगीन कपड़े पहनते हैं और शाम को भांगड़ा (पंजाबी लोक नृत्य) करते हैं। नगर कीर्तन के जुलूस भी निकाले जाते हैं, जिसमें पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब का गायन और जप शामिल है।
पंजाब के अलावा, यह त्यौहार अन्य राज्यों में भी मनाया जाता है, जैसे हरियाणा में, जहां बैसाखी मेला आयोजित किया जाता है।
सिख समुदाय के लिए, बैसाखी न केवल फसल काटने का त्योहार है, बल्कि धार्मिक भी है।