आज १ मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिन यानी International Labour Day और श्रमिक दिवस को पूरी दुनिया में मनाया ज्याता है। यह दिवस सभी लोग मजदूरों को समर्पित करते है। इस दिन की खास बात यही है की यह दिन सभी मजदूरों की याद में उनके सम्मान में और प्रोत्साहन देने के लिए मानते है।
International Labour Day 2025 में lockdown और कोरोना के चलते इसे घर से ही सेलिब्रेट किया जायेगा। इसे अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस भी कहा ज्याता है और इस दिन सभी मजदूरों को काम से छुट्टी मिलती है।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन एक संयुक्त राष्ट्र एजेंसी जो अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों को स्थापित करने की दिशा में काम करती है उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिन पर सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए कार्यस्थल पर जारी एक रिपोर्ट में कहा है की , ” देशों को ध्वनि और लचीला व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य प्रणालियों को लागू करने की आवश्यकता है जो भविष्य के स्वास्थ्य आपात स्थिति में काम की दुनिया में सभी के लिए जोखिम को कम करेगा। ”
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिन की शुरुवात कब हुई थी?
अंतर्राष्ट्रीय तौर पर मजदूर दिन मनाने की शुरुआत 1 मई १८८६ को हुई थी। अमेरिका के मजदूर संघो ने मिलकर एक decision लिया था कि वह 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं करेंगे।
जिसके लिए संगठन ने हड़ताल किया इस हड़ताल के दौरान शिकागो के Hay market में बम ब्लास्ट हुआ जिस से निपटने के लिए पुलिस ने मजदूरों पर गोली चला दी थी जिसमें कई मजदूरों की मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
इसके बाद १८७९ अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में ऐलान किया गया कि मार्केट में मारे गए मजदूर की याद में 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिन मनाया जाएगा।
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिन ८० से भी अधिक देशो में मनाया ज्याता है। इस दिन सभी कामगारों को छुट्टी मिलती है और इसे कामगार अलग अलग तरीके से सेलिब्रेट करते हैं।
भारत देश में मजदूर दिन की शुरुआत कब हुई थी?
भारत में हम इसे श्रमिक दिवस के नाम से भी जानते हैं। भारत में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान ने १ मई १९२३ मद्रास में इसकी शुरुआत की थी मद्रास यानी जोकि अब चेन्नई के नाम से जाना जाता है। लेकिन उस समय labour day को मद्रास दिवस के रूप में भी मनाया जाता था।
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