दोस्तों आज हम देखेंगे कि करैक्टर क्या होता है जब भी कोई एक्टर आप देखते हैं तो वह एक्टर कैरेक्टर में ही अपने आप को लोगों के सामने प्रजेंट करता है चाहे वह निगेटिव कैरेक्टर हो या फिर पॉजिटिव लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि कुछ एक्टर कितना भी मेकअप, हेयर और कपड़े चेंज कर ले लेकिन वह हर एक कैरेक्टर में लगभग एक जैसे ही दिखते हैं।
दूसरी तरफ कुछ एक्टर्स ऐसे है जो हर मूवी में अलग-अलग किरदार में अपने आप को लोगों के सामने प्रजेंट करते हैं कि आप उनकी असलियत ही भूल जाते हैं क्या आप जानना चाहते हैं कि यह सब कैसे होता है।
करैक्टर क्या होता है?

Characterization एक्टिंग सीखने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण और पेचीदा हिस्सा है जिसे समझना बहुत ही ज्यादा आसान भी नहीं है। Characterization में दो तरह के हिस्से होते हैं एक हैं आउटर(outer) और दूसरा है इनर(inner)। सबसे पहले हम जानेंगे आउटर के बारे में।
1. आउटर करैक्टर
आउटर का मतलब है कि एक कैरेक्टर का आउटर सेल्फ यानी कि वह कैरेक्टर कैसे दिखता है, उसके बाल कैसे हैं, उसकी बॉडी लैंग्वेज कैसी है, उसकी आवाज कैसी है, वह कपड़े कैसे पहनता है। आउटर के भी हम दो हिस्से कर सकते हैं पहिला हिस्सा है जो कि मेकअप और बालों का होता है जिसे हम External aids for character भी कहते हैं।
आउटर सेल्फ जैसे कि दीपिका पादुकोण बाजीराव फिल्म में मस्तानी और छपाक में मालती भी बनी। नवाजुद्दीन सिद्दीकी ठाकरे फिल्म में हिंदू ह्रदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे भी बने और साथ ही मॉम फिल्म में एक अलग तरह के जासूस भी बने। परेश रावल सर संजू फिल्म में सुनील दत्त साहब के रोल में नजर आए तो दूसरी तरफ उन्होंने हेरा फेरी में बाबूराव आपटे का भी रोल किया है।
प्रियंका चोपड़ा वह मेरी कॉम भी थी और साथ ही बर्फी फिल्म की झिलमिल भी। दोस्तों इनके इन कैरेक्टर में बहुत ज्यादा मेकअप और कपड़ों का भी हाथ था लेकिन क्या सिर्फ इतना ही काफी था तो नहीं। हर एक कैरेक्टर की बॉडी लैंग्वेज, उसकी आवाज हर चीज में कुछ ना कुछ अलग पन दिखाया गया था।
2. इनर सेल्फ करैक्टर
दोस्तों अगर आपको कोई भी कैरेक्टर प्ले करना है तो आपके लिए यह जानना बहुत जरूरी होगा कि वह कैरेक्टर सोचता कैसा है और इसे जानने के लिए आपको उस कैरेक्टर का इतिहास और बैकग्राउंड जानना बहुत जरूरी है। उसकी जर्नी पता होनी चाहिए।
उदाहरण के लिए नवाजुद्दीन सिद्दीकी बहुत बार गैंगस्टर का रोल प्ले कर चुके है उन्होंने गैंग ऑफ वासेपुर में फैजल खान का रोल किया तो दूसरी तरफ सैक्रेड गेम में गायतोडे का रोल भी किया लेकिन क्या आपको यह दोनों कैरेक्टर एक जैसे लगते है तो आपका जवाब होगा कि नहीं।
इसका कारण है कि इन दोनों ही कैरेक्टर का बैकग्राउंड उसकी हिस्ट्री उन कैरेक्टर की जो जर्नी है वह सब कहानी बिल्कुल अलग है। इसीलिए वह दोनों कैरेक्टर हमको अलग लगते हैं।
करैक्टर कैसे बनाये?
हमने बहुत सारे फिल्मों में देखा होगा कि कुछ एक्टर जो है उस तरह का कैरेक्टर परफॉर्म करने के लिए उनकी जैसी बॉडी लैंग्वेज को अपनाते हैं उनकी जैसी भाषा से कैरेक्टर को समझते हैं और फिर उनको अपने अंदर डालकर कैरेक्टर को परफॉर्म करते हैं। जब भी आप कोई कैरेक्टर को परफॉर्म करते है इसके लिए ऑब्जर्वेशन की जरूरत बहुत ही ज्यादा होती है।
जैसे अगर कोई असुर है तो आपने हकीकत में तो इसे देखा नहीं होगा लेकिन उसे आपको उनके कैरेक्टर में निभाना है तो आप कहीं सुनी हुई कहानी को जोड़कर या फिर कहीं किसी फिल्मों में देखकर उसकी एक कहानी अपने अंदर बना लेते हैं हर इंसान के अंदर का कैरेक्टर अलग होता है।
कुछ लोग असुर को बहुत ही भयानक रूप से performed करेंगे तो कुछ उससे बहुत ही simple रूप से परफॉर्म करेंगे क्योंकि इसके लिए इमेजनेशन बहुत ही जरूरी है। कैरेक्टर इमैजिनेशन से अपने अंदर ढालता है उसके बाद बॉडी लैंग्वेज भी बहुत ही ज्यादा जरूरी है
आप अगर किसी कैरेक्टर को लोगों के सामने दिखाना चाहते हैं तो आप जो देख रहे हैं आप उस कैरेक्टर महसूस कर रहे हैं, उसे ऑडियंस को भी महसूस होना चाहिए इसके लिए body language बहुत जरूरी है क्योंकि ऐसा नहीं है कि जो आप उस कैरेक्टर के बारे में जानते हैं और उसकी कहानी आपको पता है वह ऑडियंस को भी पता होगी सबसे जरूरी बात यह है कि सामने वाले ऑडियंस को उसके बारे में पता चले उस कैरेक्टर के बारे में उनको समझ में आए।
कैरेक्टर के लिए ऑब्जरवेशन बहुत ज्यादा जरूरी है अगर आपको कोई भी character करना है सबसे पहले उसे ऑब्जर्व करना है तो इसके लिए आपके पास एक बहुत ही अच्छा एक्सरसाइज है आप जितना भी ज्यादा लोगों को ऑब्जर्व करेंगे आप उतना ही ज्यादा उस कैरेक्टर को समझ पाएंगे।
अगर आपने किसी इंसान को देखा जो आपको थोड़ा अलग लगा कोई डॉक्टर या फिर पुलिस ऑफिसर और भी बहुत सारे जो प्रोफेशन के लोग हैं उन सब का बॉडी लैंग्वेज कुछ अलग होता है उनके बात करने का तरीका कुछ अलग होता है, उनके कपड़े अलग होते हैं। कोई भी इंसान आपको मिले जो कि आपको अलग लगता हो उनके बारे आप एक किताब में लिखे ताकि वह आपके साथ रहे आप के दिमाग में रह जाए।
कैरेक्टर की हिस्ट्री और बैकग्राउंड कैसे जाने?
आपके मन में भी सवाल होगा कि हम कैरेक्टर की हिस्ट्री और बैकग्राउंड कैसे जाने इसके लिए बहुत बार डायरेक्टर या फिर स्क्रिप्ट राइटर होते हैं इन सब में आपकी मदद करते हैं वह आपको कैरेक्टर का बैकग्राउंड उसकी हिस्ट्री बता देते हैं और भी बहुत सारी बातें आपको उसके बारे में बताते है लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तो क्या करना चाहिए।
इसके लिए आपको कैरेक्टर की एक कहानी बनानी होगी जिससे कि वह बचपन से लेकर आज तक उसकी जर्नी कैसी होगी इसके बारे में इमैजिनेशन करना होगा। आपने एमएस धोनी फिल्म तो देखी होगी जिसमें सुशांत सिंह राजपूत ने धोनी का कैरेक्टर निभाया है और मेरी कॉम की बात करी तो प्रियंका चोपड़ा ने उनका कैरेक्टर निभाया है तो आप देखेंगे कि वह कितने परफेक्ट है।
यह सब उनको कैसे पता चला होगा इसके लिए उन्होंने उन कैरेक्टर यानी जो कि रियल इंसान है उनके साथ वक्त बिताया होगा उन्होंने उनकी बारीकियों पर काम किया होगा तभी आपको लगता है कि यह कैरेक्टर वही इंसान है।
कैरेक्टर की सेल्फ प्रैक्टिस कैसे करें?
आपने मेथड एक्टिंग के बारे में भी सुना होगा कि मेथड एक्टिंग क्या होता है मेथड एक्टिंग को कैरेक्टर में आने के लिए निभाते हैं और इसके लिए हर एक एक्टर अलग अलग तरीका अपनाता है मेथड एक्टिंग को जानने के लिए बहुत सारी एक्टिंग की बुक्स पढ़ सकते है।
इन चीजों को ओर अच्छे से समझने के लिए कुछ एक्सरसाइज है सबसे पहले आप एक न्यूज़पेपर लीजिए पुराना या फिर नया वाला उसमें से एक न्यूज़ पढ़ो और उसमें से एक छोटा सा किरदार निकालो इसके बारे में ज्यादा कुछ लिखा नहीं है या फिर थोड़ा सा लिखा हुआ होगा कि वह कहां का रहने वाला है वह किस भाषा में बात करता है आपको उस किरदार के बारे में इमैजिनरी एक कैरेक्टर बनाना है।
जैसी कि वह कहा जाता है, क्या खाता है, दिन भर क्या करता है, कपड़ा पहनने का ढंग क्या है, चलने का ढंग क्या है, वह क्या काम करता है इन सभी बातों को आप कहीं पर तो लिखो और उसे पढ़ो। इससे आपको समझने में आसानी होगी कि वह कैरेक्टर किस तरह का है और उनकी एक एक खूबियों को आप धीरे-धीरे करके प्रैक्टिस करो।
इसे पढ़े:
Conclusion
दोस्तों मुझे उम्मीद है कि, आपको समझ में आया होगा कि एक्टिंग में करैक्टर क्या होता है औरउसे कैसे तैयार करके निभाना चाहिए। उसकी हिस्ट्री कैसे क्रिएट करें और उसकी प्रैक्टिस कैसे करें यह सब एक दिन में नहीं होगा इसके लिए आपको काफी वक्त लग सकता है तो आपको प्रैक्टिस जरूर करती रहनी चाहिए। आप अलग अलग करैक्टर को निभाते वक्त ऑब्ज़र्व भी करना है और गलतिया सुधारनी है।
FAQ:
Q. ओवरएक्टिंग का मतलब क्या होता है?
Ans. ओवरएक्टिंग का मतलब है की जरुरत से ज्यादा अपने करैक्टर को निभाना, जहा एक्सप्रेशन या डायलॉग्स की जरुरत नहीं है वहा जबरदस्ती एक्टिंग करना।
Q. Characterization Acting में कितना महत्वपूर्ण है?
Ans. Characterization एक्टिंग का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योकि उसके बिना कोई भी एक्टर एक्टिंग नहीं कर सकता हर एक scene Characterization के साथ ही होता है।
Q. करैक्टर के कितने प्रकार है?
Ans. करैक्टर के दो प्रकार है एक है इनर करैक्टर और दूसरा है आउटर करैक्टर और यह दोनों ही एक्टिंग में महत्वपूर्ण है।